BABA MAHENDRANATH SHIV TEMPLE - बाबा महेनदनाथ मेहदार मंदिर
बाबा महेनदनाथ मेहदार मंदिर बिहार
बाबा महेनदनाथ मेहदार मंदिर बिहार मे सीवान जिला के सिसवन प्रखंड के ग्राम रामगढ में स्थित है| यह बिहार की सबसे प्राचीन शिव मंदिरो में से एक है इस मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्रवीर विक्रम सहदेव ने करवाया था | हिन्दुओ की ये मानना है की यहाँ आने वाले भक्त खाली हाथ नही लैटते है । शिव मंदिर मेहन्दर सिवान मे बिहार व यूपी से लोग बाबा महेंद्र नाथ की दर्शन और पूजा करने आते है। जहा बाबा महेदंरानाथ के दर्शन करने वाले कभी निराश नही जाते।
यहा रोज हजारो जला भिषेक करने से चरम रोग से छूटकारा मिलता है| ये भी मान्यता है कि मेहन्दर के शिव मंदिर मे शिव लिगं पर जला भिषेक करने से नि संतान को संतान की प्राप्ति और चरम रोग से छूटकारा मिलता है।
जलाभिषेक करने पर चर्म रोग से मिलती है निजात
सैकंड़ो वर्ष पूर्व नेपाल नरेश को कुष्ट रोग हो गया था। मायूस राजा राज पाट छोड़ कर इलाज करवाने बनारस निकल पड़े और चलते चलते सिवान जिले के सिसवन परखंड के रामगढ गाव के चवर मे पहूचे। वहा उन्हें शौच लगा वो शौच के बाद हाथ धोने के लिए पानी तलाश रहे थे उनहे एक गढे मे थोड़ा सा गंदा पानी दिखा वे उस पानी से हाथ धोने लगे तो, जैसे हि गंदा पानी कुष्ट हाथ पर पड़ा तो कुस्ट और घाव दोनो हि गायब हो गया फिर राजा ने उसी पानी से नहा लिया तो उनके पुरे शरीर से कुस्त रोग समापत हो गया| उन्होंने विश्राम किया और वही सो गए और उन्हें स्वपन मे आए भगवान शिव आये और वहाँ होने के संकेत दिए फिर राजा उनको ढूढने के लिए मिटटी खोदने को कहा | जहा उन्हें खोदने के बाद मिटटी से एक शिवलिंग मिला | राजा ने वही एक विशाल पोखरा खोदवाया और शिव मंदिर का निरमाण करवाया जो आगे चल कर मेहंदार शिव मंदिर के नाम से प्रचलित हुवा।भकत आते है। सावन मे भकतो कि संखया और बड़ जाती है। मेहन्दर मे बाबा के पूजा दॅशन के लिए नतरगोपालगंज, छपरा, मोतिहारी, गाजीपूर, मूजफरपूर, वैशाली, झड़खंड, यूपी इसके अतिरिकत नेपाल से भी लोग आते है।
महेदंरानाथ मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्र जी ने १७ वी सदी मे करवाया था| मेहदार धाम एक पर्यटक और ऐतिहासिक अश्थल है। यह लगभग ५०० बरस पूराना धार्मिक अश्थल है। यहा सभी छोटी बड़ी देवतायो कि मुर्तिया है।
पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मनोकामना पूर्ति के लिए यहां मत्था टेक चुके हैं और रुद्राभिषेक कर चुके हैं। यहां से लोगों की अपार आस्था जुड़ी हुई है।
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