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जितिया व्रत 24 या 25 सितंबर 2024 में कब ? (Jitiya Vrat 24 or 25 September 2024 Date)

जितिया व्रत 24 या 25 सितंबर 2024 में कब ? (Jitiya Vrat 24 or 25 September 2024 Date)

2024 जीवितपुत्रिका व्रत | जीतीय व्रत

 हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत का खास महत्व है. इसे जितिया व्रत (Jitiya Vrat) और जिउतिया व्रत भी कहते हैं.जीवित्पुत्रिका का व्रत माताएं अपने बच्चे की सलामती और लंबी उम्र के लिए रखती है. साथ ही जिन महिलाओं की संतान नहीं होती वो भी संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती है. इस दिन माताएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करती हैं.जीवितपुत्रिका व्रत एक महत्वपूर्ण उपवास का दिन है जिसमें माताएं अपने बच्चों की भलाई के लिए पूरे दिन और रात निर्जला उपवास रखती हैं।


हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. छठ की पूजा की तरह ही जीवित्पुत्रिका के व्रत में भी नहाय खाय, खरना परंपरा का पालन करती है. उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

ये व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में ही रखा जाता है.माताएं अपनी संतान के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान जीमूतवाहन की विधि विधान से पूजा करती हैं. जानें जितिया व्रत 24 या 25 सितंबर कब किया जाएगा.


कब है जीवित्पुत्रिका व्रत 

संतान की लंबी उम्र के लिए आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है. इस साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 सितंबर, 2024 को पड़ रही है. इस साल महिलाएं 25 सितंबर, 2024 को जितिया का निर्जला व्रत रखेंगी और अगले दिन 26 सितंबर, 2024 को पारण करेंगी.


कब है जितिया व्रत का नहाय खाय?

मंगलवार, 24 सितंबर 2024 को जितिया व्रत का नहाय खाय रखा जाएगा. वहीं बुधवार, 25 सितंबर, 2024 को माताएं निर्जला व्रत रखेंगी. इसके बाद गुरुवार, 26 सितंबर 2024 को व्रत का पारण किया जाएगा.


जितिया व्रत पूजन के शुभ मुहूर्त 

जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त 25 सितंबर की सुबह 10:41 बजे से लेकर दोपहर 12:12 मिनट तक है.


जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा सामग्री

कुश की जीमूत वाहन की मूर्ति, मिट्‌टी से बनी चील और सियार की मूर्ति, दुर्वा, अक्षत, फल, गुड़, धूप, दिया, घी, श्रृंगार सामग्री, इलायची, पान,लौंग, सरसों का तेल, बांस के पत्ते, गाय का गोबर आदि पूजा सामग्री में जरूर रखें. 



जितिया व्रत का महत्व

हिंदू धर्म में जीवित्पुत्रिका व्रत बहुत ही लाभकारी और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस व्रत को महिलाओं अपनी संतान की लंबी उम्र और उसकी मंगल कामना के लिए करती हैं. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सभी साधक को हर तरह की कष्टों से मुक्ति मिल सकती है. जीवित्पुत्रिका व्रत के पूजा दौरान माताएं व्रत कथा पढ़ती और सुनती हैं. ऐसी मान्यता है कि जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनने से कभी भी संतान वियोग नहीं सहना पड़ता हैं.


कैसे किया जाता है जितिया व्रत ?

जितिया व्रत छठ की तरह कठिन माना गया है. इस व्रत के पहले दिन महिलाओं को सूर्योदय से पहले ही स्‍नान करना होता है और स्‍नान के बाद पूजन आरंभ किया जाता है.

पूजा के बाद महिलाएं भोजन करती हैं और फिर उसके पश्‍चात पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं. जीमूतवाहन की पूजा करती है. फिर व्रत का पारण किया जाता है.


जितिया व्रत पूजा की विधि 

जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन प्रात: काल स्‍नान करने के बाद महिलाएं प्रदोष काल में पूजन स्‍थल को गोबर से लीपकर साफ करती हैं.

इसके बाद वहां पर एक छोटा-सा तालाब बनाया जाता है और इस तालाब के नज़दीक ही पाकड़ की डाल खड़ी की जाती है. अब तालाब के जल में कुशा से बनी जीमूतवाहन की मूर्ति स्‍थापित की जाती है और इसकी धूप-दीप, अक्षत, रोली और फूलों आदि से पूजन किया जाता है.

इस व्रत में महिलाएं मिट्टी और गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्तियां भी बनाती हैं. इन मूर्तियों के माथे पर सिंदूर का टीका लगाने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है और फिर पारण किया जाता है.


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